Defi क्या होता है ओर कैसे काम करती है? वर्तमान पूरे विश्व में डिसेंट्रलाइज करेंसी छाया हुआ है और हर तरफ डिसेंट्रलाइज करेंसी का भरपूर इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ऐसे में और एक चीज ऐड होता है फाइनेंस सेक्टर में जिसका नाम Defi है।
Defi एक तरह से देखा जाए तो ट्रेडिशनल बैंकिंग फाइनेंस सिस्टम को डिसेंट्रलाइज करने का एक जरिया है। सीधे भाषा में कहा जाए तो Defi एक डिसेंट्रलाइज लोन सिस्टम है।
तो आखिर यह Defi क्या होता है ओर कैसे काम करती है? कहां इस्तेमाल किया जाता है? इन सभी सवालों का जवाब हम आगे विस्तार में जानेंगे।
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Defi का Start कब से हुआ?
जब साल 2009 में सतोशी नाकामोतो ने बिटकॉइन को लॉन्च किया उसी के कुछ महीनों बाद Defi का System आ गया था। लेकिन उस समय डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी का इस्तेमाल नहीं होने के कारण Defi को कोई नहीं जनता था और Stable coin नहीं होने के कारण इसका इस्तेमाल नहीं होता था।
लेकिन इसका Turning Point तब आया जब साल 2017 में Maker Dao Protocol आया जो की एक एथेरेअम बेस Protocol है। इसके बाद पहली बार ब्लॉकचैन से Loan लेने की प्रक्रिया शुरू हुई।
जाहीर है ये Loan बिना किसी Centralized Bank के दाखिल से ले रहे थे ओर ऐसा पहली बार हो रहा था ओर तभी जरूरत महसूस हुई Stable Coin की जो की इसको ओर Trustable बना सके। फिर इसके कुछ समय बाद Stable coin भी अन्य शुरू हो गया।
Forbes के हिसाब से Defi का Market Cap 2020 तक $15.6 Billion था। यहां एक बहुत बड़ा आंकड़ा है और इससे आप समझ सकते हैं लोग Defi का कितना ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है।
Defi का सबसे ज्यादा इस्तेमाल America, Vietnam, Thailand पर हो रहा है। Defi को इस्तेमाल करने में पूरे विश्व पर भारत का स्थान 6th नंबर पर आता है।
Defi क्या होता है?
आप सबसे पहले जान लीजिए Defi का Full form Decentralizes Finance है। Decentralizes Finance का मकसद Traditional Finanace सिस्टम को Decentralied करना है। यानि Centralized bank से Loan लेना ओर देने के system को Decentralized माध्यम से Loan लेने ओर देने के रूप मे परिबर्तन ही Defi होता है।
Defi को समझने के लिए सबसे पहले आपको Traditional Finanace के बारे में जानना होगा।
Traditional finanace क्या होता है?
Traditional Finance यानी जो हमारे देश के बैंक के द्वारा चलाया जाता है। इसे हम Crntralized Finance भी कह सकते है।
हम आम तौर पर अपने पैसे को बैंक पर जमा करते हैं। क्या आपने सोचा है उस पैसे को बैंक क्या करता है?
जब हम अपने पैसे को बैंक पर जमा करते हैं तो बैंक हमारे पैसों का सुरक्षा भी करता है और उसका Interest भी देता है। लेकिन हमारे जमा किए गए पैसों का Interest बैंक हमें बहुत कम देता है।
जब किसी और को पैसा चाहिए होता है किसी भी वजह से तो उसके बदले में वह व्यक्ति बैंक के पास Loan के लिए जाता है। Bank से Loan लेने के लिए वो ब्यक्ति उसकी जमीन, घर, सोना और अन्य कीमती चीजों को Bank में गिरवी रखता है। यह जो गिरवी का अमाउंट बैंक के लोन के बदले से कहीं ज्यादा होता है।
जो पैसा हम बैंक में जमा किए थे उसी पैसे को अन्य व्यक्ति को Loan के रूप में देगा और उससे बहुत ज्यादा Interest लेगा और अपना Profit कमाएगा।
Bank में जमा किए गए पैसों का Interest बैंक हमे ज्यादा से ज्यादा 3% से 5% तक देता है ओर अलग-अलग बैंक अपना अलग Interest Rate pay करते है।
लेकिन जब उसी पैसे को Bank अन्य व्यक्ति को Loan देते हैं तब उससे लगभग 9% से 14% तक का Interest charge करते है। यानी Bank हमे जो Interest pay करता है उससे 3-4 गुना से भी ज्यादा interest charge लेता है ओर इसी तरह Traditional bank System काम करता है।
Decentralizd finance क्या होता है?
जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंस पर Trusted Bank के जरिए लोन लेनदेन का प्रक्रिया होता है डिसेंट्रलाइज फाइनेंस यानी Defi पर बैंक जैसा कोई मध्यस्थ ही नहीं होता है। मतलब डिसेंट्रलाइज फाइनेंस पर कोई भी व्यक्ति अन्या एक व्यक्ति से सीधा लोन ले सकता है या फिर दे सकता है।
इन दोनों के बीच में Loan देना और लेना को सफल करने के लिए Defi पर Smart Contracts का इस्तेमाल होता है। Smart Contracts एक तरह का Terms & Conditions होता है जिसमे दोनों के बीच में जो भी समझौता होता है उसको डिसेंट्रलाइज्ड तरीके से लिखा होता है।
Smart Contracts पूरी तरह से Transparant होता है जो की बैंक में नहीं होता है ओर Simple Rules को Follow करते है जो Smart Contracts में Coded होते है। इस स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ट्रांसपेरेंट होने के कारण आप निवेश से पहले इसमें क्या चीज है चेक कर सकते हैं।
यह पूरी तरह ब्लॉकचेन पर ही चलता है। यानी इसमें आपके घर, जमीन और सोने के बदले में इस्तेमाल होता है बिटकॉइन, एथेरियम जैसी क्रिप्टो करेंसी।
वर्तमान बिटकॉइन, एथेरियम जैसी क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल Defi मैं नहीं किया जा रहा है क्योंकि इनके प्राइस बहुत ज्यादा ऊपर नीचे होते रहते हैं।
मान लीजिए अपना बिटकॉइन के Price 40 लाख होने के समय किसी को Defi के जरिए Loan पर दिए हैं ओर वो Loan लौटने के समय है Bitcoin का Price 30 लाख भी हो सकता है ओर 50 लाख भी हो सकता है। तो ऐसे में दोनों ब्यक्ति यानि Loan लेने वाला ओर लोन देने वाला ब्यक्ति भी नुकसान में पड़ सकता है।
इसिलिए Defi से सुबिध को सहज बनाने के लिए Stable Coin को मार्केट में लाया गया। Stable Coin का प्राइस बहुत Constant होता है यानी इसका प्राइस बहुत ही कम ऊपर नीचे होता है जोकि Defi मैं इस्तेमाल करने के लिए बिल्कुल सही है। Tether (USDT), USD Coin (USDC) और Binance USD (BUSD) Stable coin है जिसका इस्तेमाल Defi पर होता है।
Defi काम कैसे करता है?
मान लीजिए आपके पास कुछ क्रिप्टो ऐसेट पड़े हैं जैसे कि Tether (USDT) ओर USD Coin (USDC) तो इसके बदले में आप कुछ Interest कमाना चाहते हैं। यह Interest Monthly भी हो सकता है ओर Annually भी हो सकता है वो आपके Smart Contract पर निर्भर करता है क्यूँकी यह पूरी तरह Smart Contract पर काम करता है। इसीलिए आपने क्या किया अपने क्रिप्टो एसेट को Defi के Smart contracts मैं जमा कर दिया।
अब मान लीजिए किसी और को पैसा चाहिए और उसके पास कुछ एथेरियम है लेकिन वह उसे बेचना नहीं चाहता है। इसीलिए वह क्या करेगा एथेरियम को Defi के Smart contracts मैं जमा कर देगा और उसको बदले में Tether (USDT) ओर USD Coin (USDC) जैसी Stable Coin मिलेगा जिसको बेचकर वह पैसा निकाल लेगा। इससे वह समय आने पर अपने लिए गए क्रिप्टो ऐसेट के साथ Interest देकर अपने एथेरियम को छुड़वा लेगा।
इस प्रक्रिया में ध्यान से जानिए क्या हुआ? सबसे पहले आपके पास जो क्रिप्टो ऐसेट थे उसको जमा करने पर Defi के Smart contracts ने ऑटोमेटिक सभी चीजें कर लिया और जिसको Loan चाहिए था उसको ऑटोमेटिक लोन दे दिया।
लोन के बदले में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ने उस व्यक्ति से कुछ ज्यादा एथेरियम रख लिए। जिससे अगर भविष्य में एथेरियम का प्राइस कम हो जाता है या फिर वह व्यक्ति अपना लोन नहीं चुकाता है तो स्मार्ट कांट्रैक्ट्स आपको क्रिप्टो ऐसेट के साथ इंटरेस्ट भी लौटा सकता है।
आपने समझा यह कितना आसान है। उम्मीद है आपको Defi क्या है? और काम कैसे करता है? समझ आया होगा।
Decentralized Finance(Defi) ओर Traditional Finance में अंतर
Defi और ट्रेडिशनल फाइनेंस यानी सेंट्रलाइज फाइनेंस में बहुत सारे अंतर होते हैं। चलिए इन दोनों को अलग करने वाली कुछ मुख्य अंतर के बारे में जानते हैं।
- बैंक ट्रेडिशनल फाइनेंस को मैनेज करता है और सभी बैंक को Reserve Bank of India मैनेज करता है लेकिन डिसेंट्रलाइज फाइनेंस को यानि Defi को मैनेज आप खुद करते हो इसका सभी कंट्रोल आपके हाथ में होता है।
- ट्रेडिशनल फाइनेंस पर KYC यानी Know Your Customer की जरूरत पड़ती है जिसके बाद आप Loan ले सकते हैं लेकिन Defi पर बिना किसी KYC के भी Loan ले सकते हैं। और Defi बिना किसी KYC के भी सुरक्षित है।
- सेंट्रलाइज फाइनेंस पर किसी भी सर्विस से पहले उस बैंक की परमिशन लेनी पड़ती है पर Defi मैं बिना किसी परमिशन के Loan ले सकते हैं। यानी किसी के दखलंदाजी के बिना कोई भी व्यक्ति किसी भी सर्विस का लाभ उठा सकता है।
- सेंट्रलाइज बैंक के सर्विस एरिया सीमित है। जैसे कोई भारतीय बैंक किसी अमेरिका के व्यक्ति को सर्विस नहीं दे सकता मतलब जिस देश का वह उसी देश पर हैं सर्विस दे सकता है। लेकिन Defi ब्लॉकचेन के ऊपर आधारित है इसीलिए किसी भी देश का व्यक्ति कहीं से भी डिफी का सर्विस ले सकता है।
- यह एक ग्लोबन नेटवर्क होने के कारण कोई इंडिया का ब्यक्ति सीधा अफ्रीका से ट्रैन्सैक्शन कर सकता है। बस इन दोनों के पास इंटरनेट होना चाहिए।
उम्मीद है आपको Defi क्या होता है आर्टिकल पसंद आ रहा है।
Defi के नुकसान
अगर आप Defi को अच्छे से जान गए हैं और सोच रहे हैं इस में इन्वेस्ट करने की तो उससे पहले Defi की नुकसान भी है उसको जानना जरूरी है। ऐसे में देखा जाए तो सभी चीजों की कुछ ना कुछ ड्रॉबैक होता ही है तो चलिए जानते हैं Defi की कुछ नुकसान के बारे में।
- सबसे पहले आपको बता दें कि Defi की Scalability बहुत कम है यानी इसका ट्रांजैक्शन स्पीड बहुत Slow है और अब तक इसका कोई भी अपडेट नहीं आया है।
- नॉर्मल क्रिप्टो करेंसी जैसे बिटकॉइन एथेरियम के तुलना में Defi की ट्रांजैक्शन फीस ज्यादा है।
- Defi में सभी चीजें Open Source और ब्लॉकचेन के जरिए होने के कारण इसमें की गई किसी भी गलती का सुधार नहीं किया जा सकता है। इसीलिए सभी जिम्मेदारी यूजर की ही होती है। ओर आपको हर एक ट्रैन्सैक्शन बहत ध्यान से करना होगा।
- हम जब किसी भी बैंक में कोई गलत ट्रांजैक्शन करते हैं तो बैंक से कहकर उसका Solution निकाल सकते हैं लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की गलत ट्रांजैक्शन का कुछ नहीं किया जा सकता। गलत ट्रैन्सैक्शन से बचने के लिए आपको खुद ही सब कुछ संभालना पड़ेगा।
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आज हमने क्या जाना
आज हमने यहां पर जाना की Defi क्या होता है? Defi का शुरुआत कब से हुआ और Defi कैसे इस्तेमाल होता है? और भी बहुत चीजों के बारे में। यहां पर मुख्य तो हमको पता लगा की डिसेंट्रलाइज फाइनल एक Loan लेन-देन का सिस्टम है। जिसका सुविधा हम सीधा बिना किसी मध्यस्त के उठा सकते हैं यानि हमें लोन लेने के लिए किसी भी प्रकार की बैंक या कोई संस्था किस जरूरत नहीं पड़ती है। यहां पर आपको बताया ट्रेडिशनल फाइनेंस यानी सेंट्रलाइज फाइनल और डिसेंट्रलाइज फाइनेंस में कौन से अंतर होते हैं जोकि डिसेंट्रलाइज फाइनेंस को बेहतर बनाता है। और ऐसे कुछ डिसेंट्रलाइज फाइनेंस के नुकसान जिसको हर वक्त आपके नजर के सामने रखना होगा।
आशा करते है Defi क्या होता है ओर कैसे इस्तेमाल होता है? आपको जानकारी मिल गई होगी
अगर आपको यह article पसंद आया तो इसे Comment ओर Share कर सकते है ओर Defi से जुड़े किसी भी प्रकार की सवाल है तो कमेन्ट बॉक्स पर पुचः सकते है।
FAQ
डेफी क्या होता है?
Defi का Full form Decentralized Finance है। Defi एक प्रकार का Loan लेने ओर देने की फाइनेंस सिस्टम है। जिसमें आप डिसेंट्रलाइज कॉइन के माध्यम से लोन ले सकते हैं। यानी बिटकॉइन, एथेरियम जैसे क्रिप्टो करेंसी पर लोन लेने का सुविधा दिया जाता है।
विकेंद्रीकृत वित्त क्यों महत्वपूर्ण है?
कोई भी बैंक या अन्य किसी संस्था के बिना Decentralized Finance आपको Loan देने की सुविधा प्रदान करता है। यह बिल्कुल ट्रांसपेरेंट होता है यानी इसमें जो कुछ भी हो रहा है आप जान सकते हैं। ब्लॉकचेन तकनीक पर चलने के हेतु यह ट्रेडिशनल फाइनेंस है कई ज्यादा सुरक्षित है।
विकेंद्रीकृत वित्त कैसे काम करता है?
Decentralized Finance पूरी तरह से ब्लॉकचेन पर निर्भर है ओर यह peer-to-peer नेटवर्क सिस्टम पर काम करता है। Decentralized Finance के सब कुछ Smart Contract के ऊपर निर्भर करता है।
डेफी प्रोटोकॉल क्या है?
Defi प्रोटोकॉल कंप्युटर के कोडिंग के माध्यम से काम करता है जिसे Smart Contract कहा जाता है। Smart Contract एक तरह का Terms and Conditions होता है जो की पूरी तरह कोडेड होता है ओर Decentralized होता है।